
देहरादून ( विकास गुप्ता)। बिहार की राजनीति इस बार जिस नए नाम को तेजी से केंद्र में ला रही है, वह हैं उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री अजेय कुमार, जिन्हें भाजपा ने मगध और शाहाबाद जैसे जटिल राजनीतिक क्षेत्रों का चुनाव की जिम्मेदारी देकर भेजा था। तीन माह के प्रवास में अजेय कुमार ने न सिर्फ माहौल बदला, बल्कि उन समीकरणों को भी अपने पक्ष में मोड़ दिया जिन्हें महागठबंधन का सबसे मजबूत आधार माना जाता था। पिछले विधानसभा चुनाव में जहां इन दोनों क्षेत्रों में एनडीए मात्र 8 सीटों पर सिमट गया था, वहीं इस बार भाजपा को 40 सीटों की प्रचंड जीत दिलाने की रणनीति तैयार कर अजेय कुमार राजनीतिक विश्लेषकों के ध्यान का प्रमुख विषय बन चुके हैं।
शांत स्वभाव, तेज दिमाग—भाजपा के ‘नए रणनीतिकार’ की पहचान
उत्तराखंड के प्रदेश संगठन महामंत्री अजेय कुमार की सबसे बड़ी ताकत उनका शांत और सधे हुए स्वभाव में छिपा हुआ तेज राजनीतिक विश्लेषण है। वे विरोधियों की चाल को बहुत पहले भांप लेने की क्षमता रखते हैं और टीम से निरंतर संवाद के लिए जाने जाते हैं। यही वजह है कि बिहार के इस मंडल में उनकी कोर-ग्रुप मीटिंग्स, बूथ-स्तर के कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद और लगातार फीडबैक लेने की शैली ने क्षेत्र में भाजपा संगठन को नई गति दी।
स्थानीय मुद्दों की पुनर्पैकेजिंग बनी गेम-चेंजर
अजेय कुमार के नेतृत्व में भाजपा ने क्षेत्रीय मुद्दों को नए तरीके से पैक कर मतदाताओं के सामने रखा—
शाहाबाद में सिंचाई, सड़क और बुनियादी सुविधाओं का प्रश्न
मगध में रोजगार, शिक्षा और स्थानीय अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दे

इन सबको एनडीए के विकास मॉडल के साथ जोड़कर पेश किया गया, जिससे व्यापक समर्थन तैयार हुआ।
उम्मीदवार चयन में दिखाई रणनीतिक पकड़
इस बार भाजपा ने उन क्षेत्रों पर फोकस किया, जहां पिछली बार मामूली अंतर से हार मिली थी कई जगह चेहरे बदले गए, कई स्थानों पर युवाओं को अवसर दिया गया। सामाजिक संतुलन और स्थानीय लोकप्रियता को मिला कर बनाई गई इस सूची के बाद मिली इस प्रचंड जीत को अजेय कुमार की सूक्ष्म प्रबंधन क्षमता का परिणाम माना जा रहा है।
भाजपा के भीतर बढ़ी प्रतिष्ठा
उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री अजेय कुमार ने बिहार में तीन महीनों में जिस स्तर का संगठनात्मक काम किया, उसने उन्हें भाजपा के नए रणनीतिक शिल्पकारों की श्रेणी में ला खड़ा किया है।
मगध–शाहाबाद जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में जीत का रास्ता तैयार कर उन्होंने यह साबित किया कि चुनाव सिर्फ प्रचार का नहीं, बल्कि गहरी समझ, सटीक आकलन और निरंतर मेहनत का परिणाम होता है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि आने वाले दिनों में बिहार में भाजपा की चुनावी रणनीतियों के केंद्र में अजेय कुमार की भूमिका और अधिक प्रभावशाली रूप से उभर सकती है।