प्रदूषण पर डॉ. रवि सहोता की सख्त चेतावनी—बच्चों के स्वास्थ्य पर बढ़ता खतरा

काशीपुर (विकास गुप्ता) उत्तराखंड में लगातार गिरती वायु गुणवत्ता बच्चों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही है। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) उत्तराखंड ने इसे “बाल स्वास्थ्य आपातकाल” घोषित करते हुए जागरूकता अभियान शुरू किया है। इसी क्रम में IAP उत्तराखंड के सचिव एवं रोटरी क्लब ऑफ काशीपुर कॉर्बेट के अध्यक्ष डॉ. रवि सहोता ने गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा—“बच्चों की सांस से समझौता नहीं—साफ हवा उनका अधिकार है।” डॉ. सहोता के अनुसार AQI 200 से ऊपर जाते ही बच्चों का बाहर खेलना सुरक्षित नहीं रहता। यह सिर्फ अस्थमा वाले बच्चों का विषय नहीं, बल्कि हर बच्चे की सेहत का सवाल है।

        खराब AQI से होने वाले बड़े खतरे

फेफड़ों का विकास रुकना

“छोटे फेफड़े, बड़ा नुकसान – हवा में छुपा जहर”
प्रदूषित हवा बच्चों के फेफड़ों की वृद्धि 10–20% तक कम कर सकती है, जिसका असर जीवनभर पड़ता है।

अस्थमा और एलर्जी में बढ़ोतरी

“धुआं और धूल – बच्चे की सांस पर हमला”
AQI बढ़ते ही अस्थमा के दौरे, घरघराहट और रात में खांसी बढ़ जाती है।

बार–बार संक्रमण

“हर हफ्ते खांसी, हर महीने दवा – जिम्मेदार हवा”
खराब हवा से इम्युनिटी कमजोर होती है और
खांसी, जुकाम, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया बार–बार होने लगते हैं।

दीर्घकालिक श्वसन रोग

“बचपन की हवा तय करती है बुढ़ापे का स्वास्थ्य”
लंबे समय में chronic diseases होने का जोखिम बढ़ जाता है।

हृदय संबंधी खतरे

“धड़कनें भी हवा से डरती हैं”
प्रदूषण रक्तचाप और सूजन बढ़ाकर हृदय रोग का भविष्य बनाता है।

मस्तिष्क पर प्रभाव

“गंदी हवा, कमजोर दिमाग – सीखना कठिन”
ध्यान, स्मरण शक्ति और स्कूल परफॉर्मेंस प्रभावित हो सकती है।

अभिभावकों के लिए जरूरी सुझाव

दिन में AQI जरूर चेक करें

AQI 200 से ऊपर हो तो बच्चों का outdoor खेल सीमित करें

N–95 मास्क इस्तेमाल करें

पौष्टिक आहार दें

असुविधा होने पर डॉक्टर से संपर्क करें

“AQI देखो, बच्चों की सांस बचाओ” IAP और रोटरी की सामुदायिक पहल IAP उत्तराखंड व रोटरी क्लब काशीपुर कॉर्बेट द्वारा—स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम,स्वास्थ्य शिविर,Screening ,Counselling जैसी गतिविधियां की जाएंगी।

संदेश स्पष्ट है
“हमारे बच्चों को दवाइयां नहीं, साफ हवा चाहिए।”
“समस्या हमारी है, समाधान भी हमारा होगा।”
“स्वच्छ हवा, सुरक्षित बचपन – यही भविष्य की नींव है।”

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