
काशीपुर ( विकास गुप्ता) कहते हैं कि सही मार्गदर्शन, सच्चा अपनापन और थोड़ा-सा अवसर मिल जाए, तो प्रतिभा खुद रास्ता बना लेती है। समाज सेविका उर्वशी दत्त बाली ने इस कथन को केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कर्मों में उतार कर दिखा दिया है।
मात्र पाँच–छह दिनों के प्रशिक्षण में काशीपुर के सुभाष चंद्र बोस बालक छात्रावास के बच्चों ने खेल प्रतियोगिता में ऐसा जज़्बा, आत्मविश्वास और कौशल दिखाया कि दोनों मुकाबले जीतकर दर्शकों को आश्चर्यचकित कर दिया। इन बच्चों ने साबित कर दिया कि उनमें किसी भी तरह की प्रतिभा की कमी नहीं है—बस उन्हें अवसर और विश्वास की ज़रूरत थी।
यह अवसर मिला काशीपुर सुभाष चंद्र बोस छात्रावास और टचवुड पब्लिक स्कूल के बीच आयोजित कबड्डी एवं खो-खो की मैत्रीपूर्ण प्रतियोगिता के दौरान। प्रतियोगिता का उद्देश्य केवल खेल नहीं, बल्कि बच्चों के भीतर आत्मविश्वास, खेल भावना और भाईचारे का संचार करना था—और यह उद्देश्य पूरी तरह सफल रहा।
इस कार्यक्रम की आत्मा रहीं मुख्य अतिथि उर्वशी दत्त बाली, जिन्होंने इन 50 बच्चों को केवल गोद नहीं लिया, बल्कि उन्हें अपना भविष्य माना है। वे इन बच्चों को स्नेह से “आने वाले 50 तारे” कहती हैं और हर कदम पर उनके साथ मज़बूती से खड़ी नज़र आती हैं। शिक्षा के साथ-साथ स्किल डेवलपमेंट पर उनका विशेष ज़ोर है। उनका मानना है कि किताबों के साथ-साथ हुनर भी जरूरी है, ताकि बच्चे आत्मनिर्भर बन सकें।
उर्वशी दत्त बाली जिस भी प्रशिक्षक को छात्रावास बुलाती हैं, वह बच्चों को पूरे मनोयोग से प्रशिक्षण देता है। यही कारण है कि इतने कम समय में बच्चों के खेल कौशल और आत्मविश्वास में अभूतपूर्व निखार देखने को मिला। इस पूरे प्रयास में छात्रावास की प्रिंसिपल ज्योति रावत निरंतर उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहीं।
टचवुड पब्लिक स्कूल के अखलाक चौधरी द्वारा इन बच्चों को खेल का मंच उपलब्ध कराना एक सराहनीय और संवेदनशील पहल रही। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि फारूक चौधरी, अतिथि श्रीमती अस्मिता चौधरी, विशिष्ट अतिथि श्रीमती अंकिता चौधरी तथा कोच सिद्धि रैना की गरिमामयी उपस्थिति ने आयोजन को और भी खास बना दिया।
प्रतियोगिता में सुभाष चंद्र बोस बालक छात्रावास के बच्चों ने कबड्डी और खो-खो दोनों में शानदार प्रदर्शन करते हुए विजेता का खिताब अपने नाम किया, जबकि टचवुड पब्लिक स्कूल की टीम उपविजेता रही। बच्चों ने अनुशासन, टीम भावना और खेल कौशल का उत्कृष्ट परिचय दिया।
विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा शैलेश कुमार का योगदान, जिन्होंने एक सप्ताह तक बच्चों को विशेष प्रशिक्षण दिया और मानो उनके भीतर जान डाल दी। बच्चों की मेहनत को देखते हुए मुकेश गोयल द्वारा खेल ड्रेस और नीरू अरोड़ा द्वारा खेल सामग्री प्रदान की गई। टचवुड पब्लिक स्कूल की ओर से बच्चों को रिफ्रेशमेंट और पुस्तकें भी भेंट की गईं।
विद्यालय के प्रधानाचार्य कविश सिद्दीकी ने बच्चों से संवाद कर उन्हें अनुशासन, मेहनत और निरंतर आगे बढ़ने का संदेश दिया। वहीं आरिफ चौधरी द्वारा बच्चों के लिए सुंदर नाश्ते की व्यवस्था की गई। जनाब फारूक, अखलाक, वासिफ, शानीब और गुरमीत सर का सहयोग भी सराहनीय रहा। छात्रावास से आए शिक्षकों ने भी पूरे उत्साह से बच्चों का मनोबल बढ़ाया।
कुल मिलाकर यह प्रतियोगिता न केवल सफल रही, बल्कि अत्यंत प्रेरणादायक और भावनाओं से भरी साबित हुई। ऐसे आयोजन बच्चों के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास में मील का पत्थर होते हैं।
उर्वशी दत्त बाली जैसी समाज सेविकाएं यह साबित करती हैं कि अगर नीयत में सेवा हो और दिल में अपनापन, तो किसी भी बच्चे का भविष्य संवारा जा सकता है। वे सचमुच इन बच्चों के जीवन में आशा की रोशनी बनकर खड़ी हैं।