सूत्रों ने बताया कि 26/11 मुंबई आतंकी हमलों में अपनी भूमिका के लिए भारत में वांटेड तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक टीम जल्द ही अमेरिका जा सकती है.
सूत्रों ने बताया कि 26/11 मुंबई आतंकी हमलों में अपनी भूमिका के लिए भारत में वांछित तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक टीम जल्द ही अमेरिका जा सकती है. यह कदम अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले के बाद उठाया गया है. अमेरिकी कोर्ट ने राणा की ओर से प्रत्यर्पण को चुनौती देने वाली समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है.
इस फैसले के बाद एक महत्वपूर्ण कानूनी बाधा दूर हो गई है. अब भारतीय अधिकारी उसे भारत लाकर उसके खिलाफ मुकदमा चला सकते हैं. सूत्रों के अनुसार, महानिरीक्षक और उप महानिरीक्षक रैंक के अधिकारियों की एक टीम इस महीने के अंत तक अमेरिका जा सकती है.
बता दें कि राणा, एक पूर्व डॉक्टर और व्यवसायी, पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है. उस पर 26/11 मुंबई हमलों के मुख्य योजनाकार डेविड कोलमैन हेडली की टोही गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने का आरोप है.
उसने हेडली को भारत की यात्रा करने और संभावित हमले के लक्ष्यों की पहचान करने के लिए अपने आव्रजन व्यवसाय का उपयोग करने की अनुमति दी. राणा को 2009 में शिकागो में FBI द्वारा पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी नेटवर्क में उसकी भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था. उसे हमलों के पीछे के आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का समर्थन करने के लिए अमेरिका में दोषी ठहराया गया था, लेकिन मुंबई हमलों से सीधे संबंधित आरोपों से बरी कर दिया गया था.
भारत राणा के प्रत्यर्पण का प्रयास कर रहा है ताकि उसे हमलों में उसकी संलिप्तता के लिए जवाबदेह ठहराया जा सके, जिसमें 166 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए. NIA ने कहा है कि हेडली की सहायता करने और उसे बढ़ावा देने में राणा की भूमिका उसे साजिश में एक प्रमुख व्यक्ति बनाती है.
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा राणा की समीक्षा याचिका खारिज किए जाने के बाद प्रत्यर्पण प्रक्रिया में तेजी आई है. एनआईए टीम का आगामी दौरा भारत के सबसे खराब आतंकी हमलों में से एक के पीड़ितों को न्याय दिलाने के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है.