सनातन धर्म में कैलाश मानसरोवर का अद्वितीय महत्व है. यह न केवल एक पवित्र स्थल है, बल्कि भगवान शिव और माता पार्वती का निवास भी माना जाता है. कैलाश पर्वत, हिमालय की सबसे ऊंची चोटियों में से एक है और यह सदियों से तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल रहा है. हाल ही में, चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने का फैसला किया है, जो आध्यात्मिक साधकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. यदि आप भी कैलाश पर्वत की खोज में रुचि रखते हैं, तो यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण है.
कैलाश पर्वत न केवल हिंदुओं के लिए, बल्कि बौद्ध, जैन और बोन धर्म के अनुयायियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है. यह स्थान अपने प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए जाना जाता है. हर साल, हजारों श्रद्धालु इस पवित्र स्थान की यात्रा करते हैं.
कैलाश मानसरोवर की यात्रा तीन विभिन्न मार्गों से की जा सकती है: उत्तराखंड, सिक्किम और तिब्बत. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) इस यात्रा की सुरक्षा का जिम्मा संभालती है. कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) और सिक्किम पर्यटक विकास निगम (KPVN) यात्रियों की सहायता करते हैं. यात्रा पर जाने से पहले, दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट द्वारा फिटनेस टेस्ट अनिवार्य है.
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर ऑनलाइन किया जा सकता है. रजिस्ट्रेशन के लिए आपको पासपोर्ट साइज फोटो, पासपोर्ट के पहले और आखिरी पेज की फोटो, फोन नंबर और ईमेल आईडी की आवश्यकता होगी. इस यात्रा में लगभग 25 दिन लगते हैं और इसका खर्च 1.5 से 3 लाख रुपये तक आ सकता है. यात्रा के दौरान स्वास्थ्य ठीक न होने पर आपकी यात्रा रद्द भी हो सकती है.